मुख पर मुस्कान और सजनी की बोली मुख पर मुस्कान और सजनी की बोली
भूल न पाऊं मैं वो होली बन गई थी सब की हमजोली देश प्रेम और भाईचारा कैसा था उत्सव वो प्यारा प्रेम ... भूल न पाऊं मैं वो होली बन गई थी सब की हमजोली देश प्रेम और भाईचारा कैसा था उत्...
बदल सकता हूँ न समाज को शायद यही अब हमारी नियति बन चुकी है। बदल सकता हूँ न समाज को शायद यही अब हमारी नियति बन चुकी है।
गुब्बारे वाला, गुब्बारे वाला,
हरा, सफेद व केसरिया का तिरंगे में योग है। हरा, सफेद व केसरिया का तिरंगे में योग है।
धानी चुनरी ओढ़े धरती, निर्मल अंबर भी मन भाया। धानी चुनरी ओढ़े धरती, निर्मल अंबर भी मन भाया।